प्यार के रिश्ते में जब शक घर करता है तो अक्सर रिश्ता खत्म होता है तो कभी कभी आशिक या माशूक. मोबाइल फोन में कोई वायरस पूरा डेटा करप्ट कर देता है और फिर फोन खत्म कर देता है, ठीक ऐसे ही सोशल मीडिया उस वायरस की तरह होता जा रहा है, जो कुछ रिश्तों में प्यार और विश्वास की बलि चढ़ा देता है. लव सेक्स और धोखे की इस कहानी में एक रिश्ता ऐसे ही 'सेलफोन वायरस' की भेंट चढ़ गया.
तमिलनाडु के त्रिची से सटे करूर ज़िले में रहने वाली 30 वर्षीय नीला अकेली औरत थी. पति के गुज़रने के बाद ठोगईमलई इलाके में नीला अपने 12-13 साल के बेटे के साथ रहती थी. नीला की ज़िंदगी ठीक चल रही थी, बस कमी थी एक साथ की जो पति के जाने के बाद उसे महसूस हुआ करती थी. लेकिन इस साथ के लिए वह किसी को भी तो नहीं चुन सकती थी.
उसके घर के पास ही इस साल की शुरूआत में एक बिल्डिंग का कंस्ट्रक्शन शुरू हुआ. इस काम की निगरानी करने का ज़िम्मा नटराजन का था. नीला जब भी घर के किसी काम से अपने घर की बालकनी पर आती या बाहर निकलती तो नटराजन दिख ही जाता. दोनों एक दूसरे को अजनबी की तरह देखते और अपने-अपने काम में लग जाते. नीला ने कुछेक बार गौर किया कि नटराजन गली के एक कुत्ते का बहुत खयाल रखता था. यह बात इंप्रेस होने वाली नहीं थी लेकिन नीला को अच्छी लगी.
काम करने वाले लोगों को नटराजन सख्ती से डांटता भी तो गाली-गलौज नहीं करता बल्कि अच्छे जुमले बोलता. आते-जाते ये सब सुनकर नीला को यह बात भी अच्छी लगी. 31 साल का नटराजन दिखने में भी आकर्षक था इसलिए वहां से गुज़रते नीला की निगाहें उसे एक बार खोजती ज़रूर थीं. कुछ ही दिनों में दोनों के बीच आंखों के पेंच लड़ने का सिलसिला शुरू हुआ.
फिर पास की किसी दुकान पर, नज़दीकी बस स्टॉप पर दोनों की बातचीत बढ़ने लगी. दोनों को एक-दूसरे में अपनी-अपनी ज़रूरतें पूरी होने की आस दिखने लगी. रिश्ता बनने लगा और गहरा होता गया. नटराजन कुछ ही वक्त बाद नीला के घर ही रहने लगा, यानी लिव-इन रिलेशनशिप शुरू हो चुकी थी. दोनों के बीच संबंध चूंकि रोज़मर्रा के हो गए इसलिए अब एक-दूसरे की आदतें और लाइफस्टाइल से दोनों का पाला पड़ा.
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नटराजन : किसका फोन था नीला? काफी देर तक बातचीत हुई?
नीला : मेरे एक दोस्त का था. क्यों? तुम इतनी देर से मेरे फोन की बातचीत पर कान रखे थे क्या?
नटराजन : नहीं, बस ऐसे ही पूछ रहा था. चलो, आज शाम को कहीं बाहर चलते हैं डिनर पर.
नीला : नहीं राजन, आज शाम कुछ दोस्तों के साथ मेरा प्लैन है. अभी फोन पर ही फिक्स हुआ.
यही सिलसिला एक पहेली का रूप लेता चला गया. नीला अक्सर अपने फोन पर सोशल मीडिया पर सक्रिय रहती और फोन पर मैसेज देखकर मुस्कुराती दिखती. अक्सर लंबी-लंबी बातें करती और नटराजन के पूछने पर अपने सोशल मीडिया या फ्रेंड्स के बारे में कुछ ज़्यादा नहीं बताती. धीरे-धीरे बात बढ़ी और नटराजन ने इस बर्ताव पर ऐतराज़ जताना शुरू किया तो नीला ने पर्सनल स्पेस में दखलंदाज़ी न करने का जुमला फेंक दिया.
नटराजन कभी जब नीला का फोन चेक करने की ज़िद करता तो नीला को यह नागवार गुज़रता. नीला इस बात पर नटराजन को खरी खोटी सुना देती. नटराजन को भी गुस्सा आता और दोनों के बीच अच्छा-खासा झगड़ा हो जाता और दो-तीन के लिए बातचीत बंद हो जाती. फिर कोई न कोई सॉरी कहकर दूसरे को मना लेता. नटराजन ने फोन पर नीला को ध्यान से सुनना शुरू किया तो बातों से उसे शक होता चला गया कि नीला किसी लड़के के साथ इस तरह बात करती थी जैसे वह उसका प्रेमी हो.
ऐसी ही बातों को लेकर दोनों के बीच झगड़े बढ़ते गए और नीला को लेकर नटराजन शक का शिकार होता चला गया. एकाध बार नटराजन ने नीला पर फ्रेंड्स के साथ पार्टी करते वक्त नज़र भी रखी और उसने जो कुछ देखा, उसका शक और पक्का हो गया कि हो न हो, नीला एक मनचली औरत थी, जो लड़कों के साथ बिंदास बर्ताव करती थी. नटराजन को यह सब अच्छा नहीं लगा.
नटराजन : आज साफ बात कर लेते हैं नीला. बहुत हो गया ये सब नाटक. सीधे बता दो मेरे साथ रिश्ता रखना है या यही रवैया?
नीला : शक का कीड़ा तुम्हारे दिमाग में है राजन, तुम खुद को ठीक करो. जब मैं कहती रही हूं कि तुम्हारे सिवाय मेरा किसी से कोई संबंध नहीं है, तो भरोसा तुम्हें करना है या नहीं? ये फैसला तुम करो, समझे. मुझे खुद में कुछ नहीं बदलना. जैसी हूं, वैसी रहूंगी. आगे तुम्हारी मर्ज़ी...
बात यहां तक पहुंच चुकी थी कि नटराजन को महसूस होने लगा कि नीला को उसके होने या न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता. इसी एहसास ने उसे अंदर तक भेद दिया था. जिसे वह चाहता था, उसकी नज़र में अहमियत न होने की फीलिंग उसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी. फिर एक दिन ऐसे ही एक झगड़े के बाद नटराजन बेहद गुस्से में था और रोज़-रोज़ की ये परेशानी खत्म करना चाहता था.
बीते 13 नवंबर की शाम नटराजन एक अच्छी शाम बिताने के लिए नीला को अपने घर लेकर गया. दोनों ने वहां इन्जॉय किया और डिनर के बाद दोनों सोने चले गए. बेडरूम में हमबिस्तर होने के बाद नीला ने मस्ती में कहा कि 'बिस्तर पर तुम्हारे साथ बड़ा मज़ा आता है, वैसे तुम बॉयफ्रेंड की जगह दकियानूसी पति जैसे बिहेव करते हो. मेरी बात मानो, ऐसे मर्दों को औरतें पसंद नहीं करतीं.' यह बात नटराजन के लिए ट्रिगर बन गई.
पहले ही फैसला कर चुके नटराजन ने नीला के गहरी नींद में सो जाने का इंतज़ार किया. देर रात करीब 2 बजे नटराजन घर के बाहर जाकर एक बड़ा भारी पत्थर लेकर आया. पत्थर लिये नीला के पास खड़े नटराजन ने दो पल उसे घूरा और फिर पूरी ताकत से वो बड़ा सा पत्थर उसके सिर और चेहरे पटक दिया. नीला नींद में ही दम तोड़ चुकी थी लेकिन नटराजन उसे पत्थर से मारता रहा.
फिर नीला के पास बैठा रहा नटराजन कभी उसे घूरता तो कभी रोता रहा. थोड़ी देर बाद उसने नीला का फोन उठाकर चेक करना चाहा लेकिन पासवर्ड के कारण फोन खुला ही नहीं. पूरी रात नटराजन वहीं बैठा रहा और नीला की लाश को ताड़ते हुए यही सोचता रहा कि अब उसे क्या करना है. सुबह होने पर नटराजन सोमरसमपेट्टई पुलिस स्टेशन गया और अपना जुर्म कबूल कर लिया. 'मैंने उसे मार डाला. वो सो रही थी, नींद में ही उसे पत्थर से कुचल दिया. वो मर गई. मुझे गिरफ्तार कर लो..'
(सच्ची घटनाओं पर आधारित लव सेक्स और धोखे की इस कहानी में किरदार वास्तविक हैं, उनके नाम भी.)
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