दिवाली की तैयारियां अब खत्म होने के कगार पर है. कपड़ों से लेकर घर की सजावट तक और गिफ्ट्स से लेकर मिठाइयों तक हर चीज की शॉपिंग पूरी हो चुकी. रोशनी का यह त्योहार असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है. शास्त्रों के मुताबिक आज ही के दिन रावण का लंका दहन करके भगवान राम अयोध्या वापस आए थे. आज ही के दिन भगवान राम के स्वागत में पूरी आयोध्या को रोशनी से भर दिया गया था. दिवाली को मां लक्ष्मी के जन्म दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. इसके अलावा दिवाली की रात मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की साथ में पूजा इसलिए भी की जाती है क्योंकि इसी दिन उनकी शादी हुई थी.
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सभी लोग अपने घर में अलग-अलग तरह से मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं लेकिन पूजा के बाद जब आप आरती करते हैं ये आरती पढ़ना न भूलें.
मां लक्ष्मी की आरती
मां लक्ष्मी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
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तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
दुर्गा रूप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर,
क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥
महालक्ष्मी जी की आरती,
जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता,
पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥