दिल्ली (Delhi) में वायु प्रदूषण (air pollution) को लेकर काफी शोर-शराबा है. प्रदूषण को लेकर सारे लोग चिंतित है. दिल्ली सरकार (Delhi Government) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्रदूषण से निपटने के उपाय कर रही है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक ने इस पर गंभीर चिंता जाहिर की है. दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए ऑड-ईवन फॉर्मूला (odd even formula) लागू हो चुकी है, लेकिन क्या प्रदूषण सिर्फ दिल्ली की समस्या है?
दिल्ली से ज्यादा बिहार में प्रदूषण
प्रदूषण पूरे उत्तर और पूर्वी राज्यों में गंभीर हालात पैदा कर रहा है. गंगा के मैदानी इलाकों में प्रदूषण का सबसे ज्यादा कहर है. दिल्ली से ज्यादा बिहार प्रदूषण की समस्या से ग्रस्त है. एक ताजा आंकड़े के मुताबिक वायु प्रदूषण की वजह से बिहार की राजधानी पटना के लोगों की उम्र 7.7 साल कम हो गई है.
पॉल्यूशन की वजह से पटना के लोग 7.7 साल काम जी पाएंगे. प्रदूषण का असर बिहार के दूसरे हिस्सों पर भी है. पॉल्यूशन की वजह से बिहार के लोगों की औसतन 6.9 साल उम्र कम हुई है. इससे लोगों की औसत उम्र लगातार कम हो रही है. 1998 में पटना के लोगों की उम्र 4 साल तक कम हुई थी. 2019 में ये बढ़कर 7.7 साल हो गई है.
बिहार के पिछड़े इलाकों में 9 साल तक कम हुई औसत उम्र
बिहार के दूसरे पिछड़े जिलों का और भी ज्यादा बुरा हाल है. सीवान, गोपालगंज, सारण और मुजफ्फरपुर जैसे जिलों में लोगों की औसत उम्र 8 से 9 साल तक कम हुई है. इन इलाकों में भी 1998 में औसत उम्र 4 साल तक कम हुई थी. प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने लोगों की औसत उम्र कम कर दी है.

प्रदूषण की वजह से हर साल हो रही हैं मौतें
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यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट ने इस पर रिसर्च कर रिपोर्ट प्रकाशित की है. रिसर्च टीम ने 1998 से लेकर 2016 के बीच विभिन्न शहरों में एयर क्वालिटी की जांच की है. स्टडी में स्थानीय प्रदूषण और उसके ग्लोबल मापदंडों का अध्ययन कर रिपोर्ट जारी की है.
पटना में हाल के दिनों में हवा की क्वालिटी ज्यादा खराब हुई है. पटना बिहार का 10वां सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर है. कुछ और शहरों की हालत उससे भी ज्यादा खराब है. बिहार में सीवान सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर है. यहां अगर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मापदंडों के आधार पर हवा की क्वालिटी होती तो लोग 9.01 साल ज्यादा जीते. इसी तरह से गोपालगंज, सारण, मुजफ्फरपुर और वैशाली के लोग 8 साल ज्यादा जीते.
पीएम 2.5 का लेवल कम होने पर ज्यादा दिन तक जी सकते हैं लोग
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अगर हवा में पीएम 2.5 का लेवल कम किया जाए तो लोगों की उम्र बढ़ सकती है. पीएम 2.5 के बढ़ते स्तर की वजह से हवा की क्वालिटी खराब हुई है. लोग सांस संबंधी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. जिसकी वजह से उनकी औसत उम्र कम हो रही है.
बिहार में प्रदूषण के आंकड़े जारी करने वाली शिकागो के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट का कहना है कि अगर बिहार में हवा की क्वालिटी विश्व स्वास्थ्य संगठन के मापदंडों के हिसाब से कर दी जाए तो यहां के लोगों की औसत उम्र 7 साल तक बढ़ जाएगी.

दिल्ली में प्रदूषण रोकने के उपाय किए जा रहे हैं लेकिन छोटे शहरों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है
प्रदूषण को लेकर पटना की चर्चा फिर भी हो जाती है. लेकिन जिन छोटे शहरों की हालत पटना से भी खराब है, उसकी किसी को फिक्र नहीं है. बिहार में शिवहर, भोजपुर, बक्सर, गोपालगंज, सीवान, मुजफ्फरपुर और वैशाली में हवा की क्वालिटी पटना से भी खराब है. लखीसराय, नालंदा और सहरसा जैसे 13 जिलों की हवा की क्वालिटी पटना जैसी है. इन इलाकों के लोगों की औसत उम्र 7 साल तक बढ़ सकती है, अगर हवा की क्वालिटी विश्व स्वास्थ्य संगठन के मापदंडों के मुताबिक हो जाए. बिहार में सबसे कम प्रदूषण वाले शहर हैं- किशनगंज, अररिया, बांका, कटिहार और पूर्णिया.
बिहार में प्रदूषण की वजह से हो रही हैं मौतें
बिहार में प्रदूषण की वजह से होने वाली मौतों पर आईआईटी दिल्ली और पटना स्थित एनवॉयरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट ने एक रिसर्च की थी. पता चला कि 2000 से 2017 के बीच प्रदूषण की वजह से 4,127 लोगों की मौत हुई.
बिहार, झारखंड और यूपी में प्रदूषण का स्तर काफी खराब है. यहां प्रदूषण की वजह से सबसे ज्यादा मौतें हो रही हैं. कानपुर और लखनऊ में सबसे ज्यादा औसतन 4,173 और 4,127 मौतें प्रदूषण की वजह से होती हैं.
बिहार के गया और मुजफ्फरपुर में प्रदूषण की वजह से साल 2000 से 2017 के बीच औसतन 710 से 531 मौतें हुईं. एक और रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ साल 2017 में प्रदूषण की वजह से बिहार में 91,458 लोगों की मौत हुई. इनमें से 14,929 छोटे बच्चे थे, जिनकी उम्र 5 साल से कम थी. मरने वालों में 1,062 की उम्र 5 से 15 साल के बीच थी.
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