
NEWS18/मीर सुहेल
न्यायिक उदाहरणों का जिक्र करते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा, 'हमारी राय में ... व्यक्तिगत रिकॉर्ड जिसमें नाम, पता, शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति, प्राप्त अंक, ग्रेड और उत्तर पुस्तिकाएं शामिल हैं, सब को व्यक्तिगत जानकारी माना जाता है.'
निजता के अधिकार का जिक्र करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई (Chief Justice of India Ranjan Gogoi)की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि यदि जानने का किसी का अधिकार परम है तो वह दूसरे के अधिकार को प्रभावित करने के साथ ही गोपनीयता भी भंग कर सकता है.
जस्टिस संजीव खन्ना ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और अपनी ओर से फैसला लिखते हुए कहा कि इसलिए पहले के अधिकार को व्यक्तिगत निजता, सूचना की गोपनीयता और प्रभावी शासन की आवश्यकता के साथ सामंजस्य रखने की आवश्यकता है.
जानने के अधिकार और निजता के अधिकार के बीच संतुलन पर जोर देते हुए पीठ ने कहा कि ज्यादातर न्यायविद् स्वीकार करेंगे कि 'सरकार के सभी अंगों में पूर्ण पारदर्शिता न तो व्यवहार्य है और न ही वांछनीय है, सरकारी जानकारी के पूर्ण खुलासे पर कई सीमाएं हैं, विशेष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा, राजनयिक संबंध, आंतरिक सुरक्षा या संवेदनशील राजनयिक पत्राचार के संबंध में.
उधार और कर्ज व्यक्तिगत जानकारी
उसके बाद फैसला में सूचना को संदर्भित किया गया है जिसे व्यक्तिगत जानकारी कहा जा सकता है.
इसमें कहा गया है कि पेशेवर रिकार्ड में योग्यता, प्रदर्शन, मूल्यांकन रिपोर्ट, एसीआर, अनुशासनात्मक कार्यवाही सहित सभी व्यक्तिगत जानकारी हैं. मेडिकल रिकॉर्ड, उपचार, अस्पतालों और निजी डॉक्टरों की सूची, संपत्ति, देनदारियों, आयकर रिटर्न से संबंधित जानकारी, निवेश का विवरण, उधार और कर्ज शामिल हैं, व्यक्तिगत जानकारी हैं.
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कहा गया है कि ऐसी निजी सूचना को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए.फैसले में सरकार और उसके कामकाज में गोपनीयता की प्रासंगिकता को भी रेखांकित किया गया है.
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First published: November 14, 2019, 2:05 AM IST
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