एक बार भगवान कृष्ण ने स्नान करती गोपियों के कपड़े उठा लिए और उनसे ये प्रतिज्ञा करवाई कि वह आगे से पूर्ण निर्वस्त्र होकर स्नान नहीं करेंगीं ये शरारत से नहीं किया गया था कृष्ण का जीवन कुछ सन्देश देता है उनकी शरारत भी कुछ उदेश्य से ही होती है उनका जीवन उनके मुख से निकले वचन अपने अंदर कई तरह की शिक्षाएं लिए हुए होता है इसलिए लोग जब भी गीता बार बार पढ़ते हैं तो उन्हें हर बार नए अर्थ समझ में आते हैं।
एक बार जब गोपियां अपने वस्त्र उतार कर स्नान करने जल में उतर जाती हैं तो भगवान श्रीकृष्ण गोपियों के वस्त्र चुरा लेते हैं और जब गोपियां वस्त्र ढूंढती हैं तो उन्हें पता चलता है उनके वस्त्र पास ही के पेड़ पर कान्हा के पास हैं गोपियां जब कान्हा से अपने वस्त्र मांगती है तो कान्हा कहते हैं कि बाहर आ कर ले लो इस पर बिना वस्त्रों से गोपियां जल से बाहर आने में अपनी असमर्थता जताती हैं कान्हा उनसे बहस करते हैं गोपियां कहती हैं जब वो नदी में स्नान करने आईं तो उस समय यहां कोई नहीं था
ये बात सुनकर कान्हा कहते हैं मैं तो हर पल हर जगह मौजूद होता हूं फिर आसमान में उड़ते पक्षियों और जमीन पर चलने वाले जीवों ने तुम्हें निर्वस्त्र देखा जल में मौजूद जीवों ने तुम्हें निर्वस्त्र देखा और तो और जल रूप में मौजूद वरुण देव ने तुम्हें निर्वस्त्र देखा।
गरुड़पुराण में बताया गया है कि स्नान करते समय आपके पितर यानी आपके पूर्वज आपके आस-पास होते हैं।
हमें जो दिखाई देता है वह वही जगत है जिसे हमारी आँखें देख पाती हैं भौतिक अंगो से भौतिक वस्तुएं ही दिखाई देती हैं इसलिए हमारी आँखें हमारे आसपास के सूक्ष्म जगत को नहीं दख पाती हम अकेले दिखते हैं परन्तु होते नहीं हैं हर धर्म इस विषय पर कुछ न कुछ कहता है इसलिए आज भी हमारे ऋषि मुनि सभी निर्वस्त्र होकर नहाने से मना करते हैं।
दोस्तो अगर आप लोगो को पोस्ट अच्छा लगा हो तो पोस्ट को लाइक जरूर करें धन्यवाद हरे कृष्णा दोस्तो।