अगर अंग्रेज भारत ना आते तो भारत कैसा होता?
यह तो सभी को पता है आजादी से पहले भारत को सोने की चिड़िया के नाम से पुकारा जाता था। क्योंकि हमारा देश सम्पति और समृद्धि से भरपूर था।भारत के पास कोहिनूर हीरे से लेकर अन्य कई बेशकीमती रत्न थे जो शायद ही किसी अन्य देश के पास मौजूद थे।
भारत की इसी समृद्धि को देखकर अंग्रेज लोग भारत के साथ व्यापार करने के लिए आकर्षित हुए। अंग्रेज सरकार ने व्यापार के बहाने भारत की भोली भाली जनता से आर्थिक लूटपाट करना शुरू कर दिया। जिससे भारत आर्थिक रूप से कमजोर हो गया।
भारत का हर व्यक्ति इस बात को जरूर मानता है की यदि ब्रिटिश शासन भारत में ना होता तो शायद आज भारत की तस्वीर कुछ अलग ही होती। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो यह मानते हैं कि यदि ब्रिटिश शासन भारत में न होता तो कुछ जरूरी चीजें जैसे की रेल गाड़ी का आना और शिक्षा का प्रसार आदि भारत में नहीं होता या फिर इस मामले में कई अन्य देशों की तरह बहुत पिछड़े होते। अंग्रेजों ने भारत में व्यापार करने के बजाय शासन करने का सोचा। वे इसमें सफल भी हुए और लगभग 300 सालों तक राज किया।
भारतीय कृषि व्यवस्था चरमरा जाती
भारतीय कृषि व्यवस्था को कमजोर करने के लिए उन्होंने भारतीय किसानों को उनकी परम्परागत फसलों को ना उगाने का दबाव डाला और साथ ही तम्बाकू, कपास, तिलहन और दलहन जैसी फसल उगाने के लिए आदेश दिए। इसके पीछे उनका मकसद विश्व स्तर पर फसल का का मुनाफा लेनि था। हालांकि अंग्रेजों ने किसानों को इसका लाभ नहीं दिया और उनसे पशुओं की तरह काम करवाया। भले ही अंग्रेजों ने भारतीय किसानों से जबरदस्ती नयी फैसलें उगवाई लेकिन इसका फायदा आजादी के बाद कृषि क्षेत्र में देखने को मिला। यदि अंग्रेज ना होते तो हमारी कृषि तकनीक अच्छी नहीं होती।
पुश्तैनी जमीन हड़पी
अंग्रेजों ने भारतीय लोगों की पुश्तैनी जमीनों को सस्ती दरों पर जबरन खरीदी और उस जगह अंग्रेज जमींदार बनाए व लगान की दरों को बढ़ा दिया गया। जिस वजह से कर्ज में डूबे हुए किसानों की हालत और भी बदतर हो गयी और वे अंग्रेजों की ग़ुलामी करने को मजबूर हुए। इससे लोगों में अपने हक के लिए लड़ने की भावना प्रबल हुई। यदि भारत में अंग्रेज नहीं आते तो यहां की जनता में मुश्किलों का सामना करने का जज्बा ना आता।
कपडा व्यापार पर पड़ा दुष्प्रभाव
अंग्रेजों ने नई निति अपनाते हुए कपड़ा बनवाने के लिए भारत से कच्चा माल सस्ते दामों में खरीदकर इंग्लैंड भेजते और फिर वही कपड़ा भारत में महंगे दामों पर बेचते। इससे भारतीय कपड़ा व्यापार पर दुष्प्रभाव पड़ा। बाद में उन्होंने भारत में ही कपड़ा बनाने के कारखाने लगवा दिए और भारत के मजदूरों से फ्री में काम करवाने लगे। भारतीयों पर उस समय भले ही बुरा बर्ताव हुआ लेकिन आज वो कारखाने भारत को कपड़ा निर्माण में आत्मनिर्भर बना दिया। यदि अंग्रेज भारत ना आए होते तो शायद हमारे पास कपड़े बनाने के अच्छे कारखाने ना होते।
गुरु शिष्य परम्परा का खात्मा
भारत में सदियों से गुरु शिष्य परम्परा व गुरुकुल चलते आ रहे थे। अंग्रेजों ने वेस्टर्न सिस्टम के साथ शिक्षा पद्धति में बदलाव किया। इन स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए सिर्फ अंग्रेज टीचर ही थे और वे भारतीय बच्चों को पढ़ाने के बजाय सिर्फ उनसे काम करवाते थे। आजादी के बाद वही पद्धति आज भारतीय लोगों को इंटरनेशनल स्तर की शिक्षा दे रही है। यदि अंग्रेज भारत ना आते तो आज भी हम गुरुकुलों में पढ़ रहे होते।
भारत का बंटवारा
अंग्रेजों की फूट डालो राज करो की पालिसी ने भारत के नक्शे को दो हिस्सों में बाँट दिया था। अंग्रेजों की मेहरबानी से ही भारत व पकिस्तान दो देश बने। अंग्रेज़ भारत में ना आते तो तो भारत व पाकिस्तान अलग नहीं होते और इससे हालात बदहाल हो सकते थे।
अंग्रेजों ने भारत पर बर्बरता से भले ही राज किया लेकिन कुछ चीजें आज भी हमें लाभ पहुंचा रही है जैसे की भारत को रेल और हवाई सेवाएं मिली। यदि अंग्रेज भारत ना आते तो बहुत सारे वर्तमान के लाभ शायद हमें ना मिल पाते।