तो ये गणोजी शिर्के छत्रपति संभाजी महाराज का साला था ! (उनकी पत्नी का सग्गा भाई ) और इसका विश्वासघात क्या था ??
औरंगजेब दख्खन में से मराठो को ख़त्म करने के उद्देश्य से दिल्ली से 4 -5 लाख की फौज ,ढेर सरे हाथी ,तोफ ,धनराशि लेकर दख्खन आया था।
लेकिन संभाजी ने उससे ऐसे लड़ाई लड़ी की औरंगजेब को मराठो का पहला किल्ला जितने में ही करीब छह साल लग गए !
संभाजी अपने सेना के साथ निपुणता से औरंगजेब के भव्य सेना से लोहा ले रहे थे !
लेकिन १६८७ के वाई के युद्ध में शूरवीर मराठा सेनापति हम्बीरराव मोहिते मारे गए और मराठे कमजोर पड़ गए !
तो इसी दौरान संभाजी के साले गणोजी शिर्के ने औरंगजेब के साथ मिलीभगत करके , छल से संभाजी और उनके करीबी साथी कवी -कलश को गिरफ्तार करवा दिया !
संभाजी को औरंगजेब ने आमंत्रण दिया की वे इस्लाम काबुल करले तो उन्हें छोड़ दिया जाएगा और खुद औरंगजेब की बेटी से शादी करवा दी जाएगी !
लेकिन संभाजी ने अपना धर्म छोड़ने से इंकार कर दिया !
औरंगजेब ने पहले तो उन्हें फटे कपडे पहना कर उनकी परेड़िंग करवाई और फिर गरम सलाखों से उनकी दोनों आखे फुड़वा दी , उनकी चमड़ी उधेड़वा दी ,नाख़ून उखड दिए ,कुछ दिनों तक उनके जीवित शरीर को सड़ने दिया ताकि चील कौवे खा सके और उन्हें पीड़ा हो और अंत में उनके शरीर के टुकड़े टुकड़े कर जंगल में फिकवा दिया !!!
(धर्म के लिए इस बलिदान हेतु उन्हें “धर्मवीर” कहा जाता है )