DM साहब ग्रामीण से: ये तुमने तोप के लाइसेंस के लिए आवेदन पुरे होशोहवाश में दिया है?
ग्रामीण- जी हां साहब।
DM साहब- क्या तुम बताओगे कि ये तोप तुम कहां और किस पर चलाने वाले हो।
ग्रामीण- किसी पर नहीं।
DM साहब- फिर।
अभी कुछ दिन पहले जब मेरी फसल बाढ़ में डूब गयी तो पटवारी जी ने मेरे लिए 50 हज़ार रुपये का मुवायजा स्वीकृत करने की बात करके गया और मेरे खाते में मात्र 5 हज़ार रुपये ही आये।
इसलिए अब मैं सरकारी कार्यप्रणाली को बहुत अच्छे से समझ गया हूँ, मुझे तो बंदर भगाने के लिये "पिस्तौल" का लाइसेन्स चाहिए था।
लेकिन मैंने सोचा की यदि मैं पिस्तौल के लाइसेन्स का आवेदन करूँगा तो मुझे कही आप "गुलेल' का लाइसेन्स न दे दें, इसलिए मैंने "तोप" के लाइसेन्स का आवेदन किया।
दोस्तों ये सरकारी तंत्र का सही व उचित कटाक्ष है कमेंट करके बताइए कि यह किस्सा आपको कैसा लगा। अगर अच्छा लगा हो तो, मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें, लाइक और कमेंट करें और अपनी राय जरूर दें।