इस डाकू का भी नाम आता है शहीदो की लिस्ट में
सुल्ताना डाकू के नाम से कुख्यात सुलतान सिंह का ताल्लुक उत्तर प्रदेश के बिजनौर-मुरादाबाद इलाके में रहने वाले घुमन्तू और बंजारे भांतू समुदाय से था. भांतू अपने आपको मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप का वंशज मानते हैं. वे मानते हैं कि मुगल सम्राट अकबर के हाथों हुई राजा महाराणा प्रताप की पराजय के बाद भांतू समुदाय के लोग भागकर देश के अलग-अलग हिस्सों में चले गए. अंग्रेज सरकार ने भांतू समुदाय को अपराधी जाति घोषित किया हुआ था और वह उनकी गतिविधियों पर लगातार नज़र बनाए रखती थी. यह बात सच भी थी क्योंकि इस समुदाय के लोगों को लेकर सामाजिक धारणा भी यही थी. इस बात को ऐतिहासिक रूप से प्रमाणित करने के लिए भांतुओं के अतिप्रसिद्ध पुरखे गुल्फी का नाम लिया जाता था जो एक कुख्यात लेकिन बेहद कुशल चोर था. खुद सुल्ताना का दादा गुल्फी का अवतार माना जाता था।
17 साल की उम्र में बना डाकू
17 साल की उम्र में ही सुल्ताना डाकू बन गया था । अंग्रेजो की पीड़ा देने वाली नीति और गरीबो पर हो रहे अत्याचारों , शोषण को देखते हुए उन्होंने डाकुओं वाला रास्ता चुना । वह गरीब लोगो को अंग्रेजो के इस चंगुल से मुक्त करवाना चाहता था । इस लिए गरीब लोगो ने भी उनका साथ देना शुरू कर दिया था । वह अंग्रेजो के खजाने को लूटा करता था और इस खजाने को गरीब लोगो में बाट देता था । इसने लगभग 100 डकैतों को गैंग बना रखी थी ।
यह लूटमार की नीति गरीबो के लिए तो ठीक थी परंतु अंग्रेजो के लिए वह खतरा बन चूका था । अंग्रेजी अधिकारी को उसे पकडने के लिए भेजा गया । उसे पकड़ने के लिए 300 लोगो की टीम बनाई गई । ये 300 जवान आधुनिक हथियारों से सुसज्जित थे । जिसमे 50 घुड़सवारों का एक दस्ता भी था । वह इस काम को नही कर पाया । उसके बाद यह मामला यंग नामक अंग्रेज अधिकारी को सौपा गया ।
उसने खड़ग सिंह नामक जमींदार को लूटा और वहां से फरार हुआ । । उसके बाद खड्ग अंग्रेजो से जा मिला और उसे पकड़ने के लिए कहा गया। फ्रेडी यंग और जिमकार्बेट और खड्ग सिंह इन्होंने सुल्ताना को ढूंढना शुरू कर दिया । माना जाता है कि एक अन्य सख्स तुलाराम की वजह से उसको दबोचा गया ।
अंग्रेज अधिकारी करना चाहता था मदद
अब सुल्ताना को पकड़ लिया गया था । यंग उसकी दयालुता और गरीबो की सहायता करने के गुण को भलीभांति जानता था । इसलिए उसने उसकी सजा की माफ़ी की मांग की परन्तु यह इस मामले में सफल नही हो पाया । सुल्ताना अपने बेटे को डाकू नही बनाना चाहता था । और उसने यंग से प्रार्थना की इस पर यंग ने उसके बेटे को इंग्लैंड में पढ़ने के लिए भेज दिया था ।
दोषी करार दिया गया
सुल्ताना अपने जीवनकाल में ही एक मिथक बन गया था. उसके बारे में यह जनधारणा थी कि वह केवल अमीरों को लूटता था और लूटे हुए माल को गरीबों में बाँट देता था. यह एक तरह से सामाजिक न्याय करने का उसका तरीका था. जनधारणा इस तथ्य को लेकर भी निश्चित है कि उसने कभी किसी की हत्या नहीं की. यह अलग बात है कि उसे एक गाँव के प्रधान की हत्या करने के आरोप में फांसी दे दी गयी. बेहद साहसी और दबंग सुल्ताना ने अपने अपराधों के चलते उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब और मध्यप्रदेश में अपना आतंक फैलाया. सुल्ताना का मुख्य कार्यक्षेत्र उत्तर प्रदेश के पूर्व में गोंडा से लेकर पश्चिम में सहारनपुर तक पसरा हुआ था. पुलिस उसे खोजती रहती थी लेकिन वह अपनी चालाकी से हर बार बच जाता था. कहते हैं कि वह डकैती डालने से पहले लूटे जाने वाले परिवार को बाकायदा चिठ्ठी भेजकर अपने आने की सूचना दिया करता था.