
इस संबंध में जब बिंदकी तहसील के स्टांप वेंडरों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें जिला मुख्यालय से ही काफी कम संख्या में स्टांप पेपर मिल रहे हैं। एक बार चालान जमा करने फतेहपुर जाओ, दो दिन बाद स्टांप लेने जाओ तो दो सौ रुपए तो यात्रा व्यय में ही लग जाते हैं। समय तो बर्बाद होता ही है। इसके बावजूद दस रुपए के स्टांप एक वेंडर को केवल पचास की ही तादाद में दिए जा रहे है। जब की जरूरत काफी ज्यादा की होती है।
उन्हें बताया जाता है कि जिला मुख्यालय में ही स्टांप कम आ रहे हैं। अगर हम लोग नियम के अनुसार बेचें तो अपनी जेब का ही खर्च हो जाएगा। ग्राहक जब ब्लैक में बेचे जाने पर सवाल करता है तो स्टांप वेंडर कह देते हैं कि ई स्टामपिंग से ले लो जो और भी उलझन भरा होता है। इस संबंध में जब उपकोषागार बिंदकी जाकर जानकारी जुटाने की कोशिश की गई तो पता चला कि उपकोषागार लाकडाउन के पहले से ही लाक चल रहा है। (आईपीएन)